नर्मदा नदी के पुनरुद्धार की जरूरत : दिग्विजय सिंह
24 Jan 2018,
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सीहोर, (मप्र), 24 जनवरी (धर्म क्रान्ति)। हाथ में लकड़ी लेकर नर्मदा नदी की परिक्रमा पर लगभग 3,300 किलोमीटर लम्बी पैदल यात्रा पर निकले 70 वर्षीय वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह और उनकी पत्नी अमृता सिंह ने इस नदी की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके पुनरुद्धार की वकालत की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी की नसरुल्लागंज तहसील के बाबरी इलाके में नर्मदा नदी में अवैध रेत खनन के लिये बनाये गये अस्थायी मार्गों की ओर संकेत करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘नदी में मशीनों से बेतहाशा रूप से रेत का अवैध खनन हो रहा है और इसके लिये नदी के अंदर ही रास्ता भी बन गया है।’’ उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश की जीवनरेखा मानी जानी वाली नर्मदा नदी के लिये यह चिंताजनक स्थिति है। नरिसंहपुर जिले से 30 सितम्बर को अपनी पत्नी सहित नर्मदा परिक्रमा शुरू करने के बाद आधी से अधिक परिक्रमा पूरी करने के बाद सिंह ने कहा, ‘‘नर्मदा में पानी का बहाव बहुत कम हो गया है। नदी के बहाव को बनाये रखने के लिये इस पर बने बांधों से नियमित तौर पर पानी छोड़ा जाना चाहिये।’’ सिंह दम्पत्ति की लगभग 3,300 किलोमीटर की पैदल नर्मदा परिक्रमा मार्च के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। उन्होंने मांग की कि प्रदेश सरकार को नर्मदा नदी पर हो रहे अवैध रेत खनन को हर हालत में रोकना चाहिये। उनकी यात्रा के दौरान लोग उन्हें पत्तियां और मिठाई भेंट करते हैं तथा नदी किनारे स्थित मंदिरों के पुजारी जब दिग्विजय सिंह को अपनी तरफ आते देखते हैं तो ‘नर्मदे हर’ का नारा लगाकर उन्हें मंदिर में दर्शन करने का आग्रह भी करते हैं। सिंह ने बताया कि नर्मदा नदी जहां अरब सागर में गिरती है, विशेषकर वहां बेकवाटर आने से नदी का पानी काफी खारा है। नर्मदा यात्रा की अवधि तक फिलहाल राजनीति से अवकाश पर चल रहे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा, ‘‘नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण को नर्मदा में पानी के पर्याप्त बहाव के लिये उचित कदम उठाने चाहिये।’’ उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने नदी किनारे लोगों की सहायता से पौधारोपण किया था, लेकिन उन्हें अपनी नर्मदा यात्रा के लगभग 1,800 किलोमीटर पूरे करने के बाद केवल तीन पौधे ही जीवित दिखाई दिये। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने नर्मदा यात्रा के आयोजन पर लगभग 4,000 करोड़ रुपये नर्मदा के पुनरुद्धार हेतु जनजागरण के लिये व्यय किये थे। इस यात्रा में कई स्थानों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए थे और इसके अंत में पिछले वर्ष सरकार द्वारा नर्मदा किनारे 6.50 करोड़ पौधे लगाने का दावा किया गया था। सिंह ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में खाने में पसंद की जाने वाली हिल्सा मछली की उपलब्धता में तेजी से कमी आयी है। इसी तरह नर्मदा में मछली पकड़ने का जहां कुल 400-500 करोड़ रुपये का व्यापार होता था, वह अब घटकर मात्र 80-100 करोड़ रुपये का रह गया है।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘ नदी में पानी का बहाव कम होने से जल प्राणियों का जीवन खतरे में पड़ गया है।’’ हिन्दू शास्त्रों के अनुसार नर्मदा को गंगा से भी पुरानी नदी माना जाता है और लाखों लोग प्रतिवर्ष नर्मदा परिक्रमा करते हैं। हिन्दू धर्मालंम्बी के तौर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को नर्मदा किनारे तीर्थयात्रियों के लिये अन्य सुविधाएं विकसित करने के साथ ही नर्मदा परिक्रमा पथ का भी निर्माण करना चाहिये। इसके अलावा विश्रामगृह भी बनाये जाने चाहिये। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हैरान हूं कि नर्मदा नदी के किनारे रहने वाले लोग परिक्रमा के लिये आने वाले लोगों का स्वागत करने के साथ उनकी हर प्रकार से मदद करते हैं और लोग यह सदियों से कर रहे हैं।’’