हिमाचल प्रदेश में नवजात शिशु के जन्म की सूचना देने के लिए मामा के घर भिजवाया जाता है द्रुभ और एक रूपया :
01 Aug 2016, 411
नवजात शिशु के जन्म पर लडक़े के पिता को बधाई देने का भी रिवाज है। उसके मित्र व संबंधी द्रुभा के साथ एक रूपया उसे भेंट करते हैं। वह द्रुभ रख लेता है और रूपए को दुगुना करके लौटा देता है। कन्याओं और बच्चों को इस अवसर पर भोज दिया जाता है। नवजात शिशु के जन्म की सूचना देने के लिए द्रुभ और एक रूपया मामा के घर भिजवाया जाता है। इसके बदले मामा घी, मीठा और कपड़े उपहार में नजवात शिशु के लिए भेजता है। हालांकि अब तो काफी हद तक बेटी के जन्म होने पर भी काफी धूमधाम होती है। लेकिन अभी प्रदेश के दूर-दराज के क्षेत्रों में लडक़े के होने पर खास उत्सव मनाया जाता है।
जब बच्चा आठ से दस माह का होता है तो ज्योतिषी द्वारा निश्चित शुभ दिन पर उसे ठोस आहार दिया जाता है। खीर तैयार की जाती है और थोड़ी सी खीर चांदी के रूपए पर रखी जाती है। इसे फिर शिशु की जिह्वा पर रखा जाता है। खीर, रोटी, फल तथा अन्य खाद्य-पदार्थ बच्चे के सम्मुख रखे जाते हैं जिन्हें वह छूता है वह उसके मनपसन्द माने जाते हैं।
यह शिशु के तीसरे या पांचवे वर्ष में होता है। शुभ मुहुर्त में नाई बाल काटता है जो कुलदेवी के मंदिर में भी हो सकता है और घर पर भी। सामर्थ्य अनुसार संबंधियों को भोज करवाया जाता है। कई जगह मामा की गोद में बाल कटवाए जाते हैं। बालों को पवित्र जल में प्रवाहित किया जाता है। प्रसिद्ध मंदिरों में भी मुंडन संस्कार किए जाते हैं।

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