इन छुट्टियों में करीब से जानें लखनऊ को
21 Jun 2017,
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हो सकता है सफर के दौरान आप लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से कई बार गुजरे होंगे लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि महात्मा गांधी से जवाहरलाल नेहरू पहली बार यहीं मिले थे। वहीं अलीगंज के हनुमान मंदिर को रबिया बेगम ने बनवाया था। लखनऊ के बारे में ऐसी कई रोचक बातें हैं। लखनऊ में कई ऐसे टूरिस्ट स्पॉट हैं, जहां घूमकर आप न सिर्फ अपना टाइमपास कर सकते हैं बल्कि इस शहर के इतिहास को बेहतर ढंग से समझ भी सकते हैं। इसके लिए टूरिज्म डिपार्टमेंट शहर में लखनऊ दर्शन से लेकर तांगा वॉक और कैसरबाग हैरिटेज वॉक जैसे ऑप्शन दे रहा है। 200 रुपये में करें हैरिटेज वॉक यह वॉक फिल्म गदर में नजर आने वाले पक्के पुल से शुरू होती है, जो शाहपीर मोहम्मद के मकबरे से होते हुए टीले वाली मस्जिद, जवाबी दरवाजा मार्ग, रूमी दरवाजा होते हुए इमामबाड़ा, टीले वाली मस्जिद, गोल दरवाजा, कटरी टोला हवेली, नेपाली मंदिर और अकबरी गेट पहुंचती है। इस वॉक में 36 अलग-अलग जगहों से रूबरू होने का मौका मिलता है। इसमें चौक बाजार से जुड़ी हैरिटेज इमारतों की संख्या अधिक है। सुबह सात बजे से शुरू होने वाली इस वॉक का हिस्सा बनने के लिए आपको तय वक्त पर मौके पर पहुंचकर 200 रुपये देने होंगे। रूमी दरवाजा इसे टर्किश गेट भी कहते हैं। बड़े फिलॉसफर जलालुद्दीन रूमी के नाम पर इसका नाम रखा गया है। यह टर्की के सबलाइम फोर्ट ऑफ इंस्तांबुल गेट की तरह बना है। साठ फीट ऊंचे इस रूमी गेट से सिक्योरिटी ऑफिसर आसपास के इलाके में नजर रखता था। अगर कोई खतरा महसूस होता था तो वह लाल झंड़ा या मशाल जला देता था, जिसका प्रतिबिंब रूमी गेट के आसपास बने अफसरों के घरों में लगे बड़े शीशों में दिखता था और उन तक खतरे का संदेश पहुंच जाता था। नौबतखाना छोटे इमामबाड़े के सामने बने इस नौबतखाने में दिन में तीन बार शहनाई बजती थी। नौबत का मतलब शहनाई होता है। इन नौबत से 16 तरह की धुन बजाई जाती थीं। आज भी खास मेहमानों के आने पर यहां शहनाई बजाई जाती हैं। जरनैल कोठी नवाब सआदत अली खान ने इसे अपने मंझले बेटे जरनैल साहब के लिए बनवाया था। कहते हैं 1857 में जरनैल इसी कोठी में बने तहखाने से बचकर निकले थे। गाइड नावेद बताते हैं कि कैसरबाग में लगभग 27 महल हैं। इन सभी महलों में गुफाएं हैं, जो एक दूसरे से जुड़ती हैं। हालांकि, अभी तक इन्हें खोजा नहीं जा सका है। शेर दरवाजा कहते हैं कि महमूद शाह नकाबपोश ने जनरल नील को चैलेंज दिया था कि वह जब भी यहां आएगा, यहां से जिंदा नहीं लौटेगा। एक बार जब जनरल नील यहां आया तो शेर दरवाजे पर बने शेर के स्टैचू के पीछे छिपकर महमूद शाह नकाबपोश ने जनरल नील को मार दिया था। कैसरबाग वॉक में महकती इतिहास की खुशबू लखनऊ में इतिहास की बयार कैसरबाग की ओर से ही बहती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए टूरिज्म डिपार्टमेंट ने कैसरबाग हैरिटेज वॉक प्लान की। जरनैल कोठी से शुरू होने वाली यह वॉक फिल्म जॉली एलएलबी-2 में नजर आई छतर मंजिल से होते हुए आगे बढ़ती है। इस वॉक में आपको दर्शन विलास कोठी, शेर दरवाजा, हजरत महल पार्क, सदर दरवाजा, सआदत अली खान का मकबरा, रौशन-उद-दौला की कोठी, सफेद बारादरी, अमीन-उद-दौला लाइब्रेरी के जरिए कैसरबाग का इतिहास जानने को मिलता है। वॉक में बेगम हजरत महल की वीरता की कहानी से लेकर भारतखंडे संगीत यूनिवर्सिटी के बारे में भी जानने का मौका मिलेगा। यह वॉक भी सुबह सात बजे शुरू होती है और इसका हिस्सा बनने के लिए भी आपको 200 रुपये खर्च करने होंगे। कैसे पहुंचें लखनऊ... सड़क मार्ग:- लखनऊ के बसों की अच्छी सुविधा उपलब्ध है। यहां से स्थानीय और बाहरी क्षेत्रों के लिए डीलक्स और नॉन डीलक्स बसें काफी चलती है जो सस्ती और सुविधाजनक हैं। ट्रेन द्वारा:- लखनऊ में दो मुख्य रेलवे स्टेशन हैं पहला शहर के केंद्र में और दूसरा चार बाग रेलवे स्टेशन है। लखनऊ रेलवे स्टेशन से भारत के लगभग सभी शहरों के लिए ट्रेन मिल जाती हैं, शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस भी यहां चलती हैं। एयर द्वारा:- लखनऊ का एयरपोर्ट, शहर से 14 किमी. दूर अमौसी नामक जगह पर स्थित है। इस एयरपोर्ट से कई देशों और कई शहरों के लिए उड़ाने भरी जाती हैं। दिल्ली, मुम्बई, पटना और रांची के लिए यहां से नियमित फ्लाइट हैं।