युवा अध्यात्म के माध्यम से ऊर्जा को दें उचित मार्ग
29 Aug 2017,
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-आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर- रोमांच ही उपलब्धि नहीं है युवा जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं और वे इसका तत्काल समाधान चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनके लिए सब कुछ अभी इसी पल में हो जाए। जब तक वे अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं को संभालना नहीं सीखेंगे, तब तक वे कुछ गलत रास्तों का भी चुनाव करते रहेंगे। आज के युवा पहले की तुलना में कहीं अधिक मानसिक बीमारी, अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति से ग्रस्त हैं। वे इस बात को ध्यान में रखें कि गलत रास्तों को अपनाने पर उन्हें कुछ समय के लिए रोमांच मिल सकता है, लेकिन यह स्थायी नहीं होता है। अध्यात्म में मिलता है मार्ग दरअसल, हर युवा खुशी और उत्साह के लिए तरसता रहता है। अध्यात्म वह है, जो मन में उत्साह को प्रज्ज्वलित करता है। हमारे युवाओं को यह एहसास करने की जरूरत है कि वे मानवीय गुणों के साथ ही रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। उन्हें यह भी एहसास करने की जरूरत है कि उनमें बहुत क्षमता है और वे जो कुछ भी हासिल करना चाहते हैं, उसे पाने की शक्ति भी उनमें है। वास्तव में सिर्फ भौतिक वस्तुएं या सुविधाएं किसी को आराम नहीं दे सकती हैं। हर कोई शांति, स्थिरता, चैन और सच्चे प्रेम के लिए तरस रहा है। आध्यात्मिकता उन्हें यह सब प्रदान कर सकती है। सेवा से मिलेगी सकारात्मक सोच सेवा भारतीय अध्यात्म का एक महत्वपूर्ण अंग है। इस तीव्र इच्छा को पूरा करने की ऊर्जा युवाओं में है। जब सेवा जीवन का एकमात्र उद्देश्य होता है, तब मन में एकाग्रता आती है। कर्म उद्देश्यपूर्ण हो जाते हैं और दीर्घकालिक सुख मिलता है। आध्यात्मिकता के सेवा के पहलू को इस्तेमाल कर अपने भय और अवसाद को समाप्त किया जा सकता है। यदि आप निराश हैं या किसी अवसाद से ग्रस्त हो रहे हैं, तो अपने कमरे से बाहर निकलें और लोगों से पूछें कि मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं? यदि आप सेवा करेंगे, तो वह आपके अंदर क्रांति लाएगा। जब स्वयं को दूसरों की मदद करने में व्यस्त रखेंगे, तब आपको यह एहसास होगा कि परमात्मा आपका बहुत अच्छी तरह से ख्याल रख रहे हैं। आपकी निराशा प्रेम और कृतज्ञता में परिवर्तित हो जाएगी। मन की बाधाओं से निकलें अंदर से बंधा हुआ मन आज युवाओं के बीच एक बड़ी समस्या है। उन्हें हमेशा यह चिंता सताती रहती है कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं? यह आदत निश्चित तौर पर उनके निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। छोटे-मोटे निर्णय जैसे कि कौन-से कपड़े पहनने हैं, कौन-सा मोबाइल खरीदना है या गंभीर निर्णय जैसे कि कौन-सा पेशा चुनना है, इन सभी का फैसला इस अनदेखे आधार पर किया जाता है कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे न कि क्या समयानुकूल है या क्या सही विकल्प होना चाहिए। श्वास प्रक्रियाएं, ध्यान और साधना के माध्यम से युवाओं को इस बाधित मन को खोलने में मदद मिल सकती है। असफलताओं से लड़ें और सशक्त बनें हमारा मन नकारात्मकता से जुड़ा रहना चाहता है। इससे मुक्त होने के लिए युवाओं को स्वयं की जिम्मेदारी लेनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका मन पूर्वाग्रहों के साथ नहीं भरा हुआ हो। हमें न तो अपनी नकारात्मक भावनाओं के साथ लड़ना है और न ही उनसे दोस्ती करनी है। नियमित तौर पर युक्ति, श्वास, और चीजों को सही संदर्भ में देखने पर नकारात्मकता को हटाया जा सकता है। युवाओं के जीवन में असफलता का डर नहीं होना चाहिए। वे बस यह स्वीकार कर लें कि असफल होने में कोई बुराई नहीं है। असफल होने के बावजूद वे काम कर सकते हैं। खेल के हार-जीत की तरह ही जीवन के निर्णय को लें। असफलता से डरें नहीं। अगर आप असफल हैं, तो कोई बात नहीं, तब भी अपने कर्म करते जाएं। जीवन असफलता और सफलता सब का मिश्रण है। वे एक-दूसरे के पूरक हैं। अगर आप जीवन में असफल होते हैं, तभी आप सफलता की कीमत जान पाते हैं। यह सीढ़ी पर सिर्फ एक कदम के समान है। यदि आगे बढ़ना है, तो अपने आप से पूछना होगा कि मैंने अतीत से क्या सीखा और फिर भविष्य के प्रति मेरे क्या दृष्टिकोण हैं? ये बातें ही आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी। इसके लिए मन में सजगता होनी चाहिए, जो तनाव समाप्त करने के बाद ही मिलती है। शतरंज के खिलाड़ी बनें, उसके प्यादे नहीं। आपको खिलाड़ी बनकर सशक्त बनना होगा। याद रखें कि जो कुछ आप प्राप्त कर सकते हैं या अपना बना सकते हैं उसकी तुलना में जीवन कहीं अधिक बड़ा है।