धर्म आचरण का विषय है-जितेंद्र आर्य
03 Oct 2017, 234
तिलहर (शाहजहांपुर)। आचार्य जितेंद्र आर्य ने कहा कि धर्म दिखावे का नहीं बल्कि आचरण का विषय है। जो व्यवहार हमें पसंद नहीं है, उसे हम दूसरों के साथ न करें। यही धर्म की परिभाषा है।
यह बात आर्य समाज बिलहरी के दो दिवसीय वेद प्रचार कार्यक्रम के शुभारंभ पर आचार्य जितेंद्र ने वेदानुकूल ने धर्म के दस लक्षणों को परिभाषित करते हुए कही। बोले, धर्म भावना और अनुष्ठान का विषय नहीं है। श्रद्धा और भावना से कार्य संपादित नहीं होते, कार्य करने से ही उसका लाभ मिलता है। अनुष्ठान कराने के बाद यदि हमने अनुष्ठान के मर्म को न समझा तो अनुष्ठान का कोई लाभ नहीं होता है।
गुरुकुल महाविद्यालय रुद्रपुर के प्राध्यापक आचार्य चंदन मित्र ने कहा कि किए गए शुभ और अशुभ कर्मों का फ ल अवश्य ही मिलता है। यज्ञ सभी कर्मों में श्रेष्ठ है। यज्ञ जहां पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने में सहायक है, वही मानव मात्र के कल्याण के लिए यज्ञ परम आवश्यक है। सुनीत बाबू आर्य ने लोगों से वेदों के मार्ग का अनुसरण करने की अपील करते हुए कहा कि वेद परमपिता परमात्मा की अमूल्य धरोहर हैं। वेद में समस्त ज्ञान विज्ञान समाहित है। मानव जीवन के कल्याण के लिए वेद का पठन-पाठन अति आवश्यक है। वेदों के मार्ग पर चलने से ही मनुष्य मात्र का कल्याण संभव है।
कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ से हुआ। इस अवसर पर वेद मंत्रों के द्वारा उपस्थित वेद प्रकाश आर्य, राजीव गंगवार, प्रकाश बाबू गंगवार, ग्राम प्रधान सहित तमाम श्रद्धालुओं ने यज्ञ में आहुतियां देकर राष्ट्र कल्याण की कामना की। वेद प्रकाश आर्य ने बताया कि वेद प्रचार कार्यक्रम का समापन एक अक्तूबर को रात्रि सभा के उपरांत होगा।

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