हर क्षेत्र में बढ़ रही है काउंसलर की मांग
05 Sep 2016,
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जीवन के कई पड़ावों पर बढ़ती जटिलताओं के कारण लोग स्वंय को भ्रमित और हारा हुआ महसूस करने लगे हैं। चाहे वह कैरियर प्लानिंग हो, रिश्तेदारी या समाज, भावनात्मक, शैक्षिक या आर्थिक कमजोरी से जुड़े हालात-व्यक्ति को किसी के सहारे या सलाह की आवश्यकता होती है, जो उसे उस स्तिथि से बाहर निकलने में उचित मार्गदर्शन करें। यही वजह है कि आज जीवन के विभिन्न चरणों में लोगों की सहायता करने के लिए काउंसलर की मांग बढ़ी है। सपोर्ट, एवल्यूशन, थेरेप्यूटिक एड या कंसल्टेशन के जरिये काउंसलर व्यक्ति का स्वस्थ विकास करता है। साथ ही, काउंसलर टीचिंग और रिसर्च से भी जुड़ा रहता है। यह कहने की आवश्यकता नहीं कि आज हर जगह करियर काउंसलर की मांग है। मरीज, पैरेंट्स से परित्यक्त बच्चे, परिवार से बाहर कर दिये गये बुजुर्ग, दंपत्ति जो वैवाहिक जीवन में शांति चाहते हैं, घरेलू हिंसा के शिकार लोग और कई दूसरे लोग तनाव व अंधेरे से निकलकर काउंसिंलग के जरिए शांतिमय जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। इस प्रोपेहृशन के ट्रेंड काउंसलर बनाने के लिए कई संस्थान काउंसिंलग कोर्सेस उपलब्ध करवाते हैं। योग्यता देश भर में कई संस्थान काउंसिंलग में र्सिटफिकेट, डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध कराते हैं। क्लीनिकल और कम्युनिटी साइकोलॉजी में पीजी डिप्लोमा करने के लिए कैंडिडेट को साइकोलॉजी से ग्रेजुएट होना आवश्यक है। गाइडेंस एंड काउंसिंलग के डिप्लोमा प्रोग्राम में प्रवेश के लिए कुछ संस्थान होम साइंस, एजुकेशन या आट्र्स में बैचलर डिग्रीवालों को प्राथमिकता देते हैं। काउंसिंलग कोर्स में गाइडेंस का र्सिटफिकेट कोर्स भी शामिल है। साइकोलॉजी से एमए करने वाले वैंहृडीडेट्स वोकेशनल रिहैबिलिटेशन एंड काउंसिंलग के डिप्लोमा प्रोग्राम और रिहैबिलिटेशन साइकोलॉजी में पीजी डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। पोस्ट ग्रेजुएट कैंडिडेट्स काउंसिंलग में पीजी डिप्लोमा कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। व्यक्तिगत कौशल एकेडमिक क्वालिफिकेशन से ज्यादा काउंसलर में विभिन्न समस्याओं को सुनने के लिए फिजिकल और इमोशनल एनर्जी होनी चाहिए। साथ ही, भावनात्मक रूप से जुड़े बिना ही दूसरों की समस्याओं को सुनने के लिए उनमें इमोशनल स्टेबिलिटी और मैच्योरिटी होनी चाहिए। दूसरों की सहायता करने की तीव्र इच्छा, सेंसिटिव होने के साथ ही सम्मान, विश्वास और आत्मविश्वास बढ़ाने वाला होना चाहिए। काउंसलर में अकेले या टीम के साथ काम करने की काबिलियत होनी चाहिए। चूंकि क्लाइंट के साथ कॉन्फीडेंशियल और डिस्कशन के लिए प्राइवेसी बहुत जरूरी है, इसलिए काउंसलर का प्राइवेट ऑफिस होना चाहिए। संस्थान: अन्नामलाई यूनिर्विसटी अन्नामलाई नगर तमिलनाडु, देवी अहिल्या विविद्यालय इंदौर, हिमाचल प्रदेश यूनिर्विसटी शिमला, रीजनल इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन मैसूर, इंदिरा गांधी ओपन यूनिर्विसटी दिल्ली (पत्राचार)। फायदे: तनाव और अवसाद से बाहर निकलने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग काउंसिंलग का सहारा लेते हैं। काउंसिंलग कोर्स में प्रवेश लेने के बाद स्टूडेंट्स लोगों की एजुकेशनल, सोशल या पर्सनल क्राइसेस में परामर्श और उचित राह दिखाकर अपने कौशल को निखार सकते हैं। अवसर: काउंसिंलग कोर्स पूरा करने के बाद कैंडिडेट देश में मौजूद विभिन्न जॉब प्रोफाइल्स में से किसी को चुन सकता है। ट्रेंड कैंडिडेट मैरीज काउंसिंलग एजेंसी, स्कूल और कॉलेज, ओल्डएज होम्स, काउंसिंलग सेंट्र्स, सरकारी वेलफेयर डिपार्टमेंट्स के साथ जुड़ने के अलावा सेल्फ इम्प्लाई बन सकता है। पश्चिमी देशों में काउंसलर को दूसरे मेडिकल प्रोटैक्शनर की श्रेणी में ही रखा जाता है। इनकी आमदनी भी देश की तुलना में विदेश में ज्यादा होती है। जिस तरह से देश में काउंसलर के लिए अवसर है ठीक उसी प्रकार विदेश में काउंसिंलग जॉब पा सकते हैं।