राष्ट्रपति ने किया गुरु घासीदास सामुदायिक भवन का भूमि पूजन
07 Nov 2017, 210
बिलासपुर/नई दिल्ली, 07 नवंबर (धर्म क्रान्ति)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपनी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान महान संत गुरू घासीदास के जन्मस्थल गिरौदपुरी पहुंचे और वहां पर सामुदायिक भवन का भूमि पूजन किया। राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद की ये पहली छत्तीसगढ़ यात्रा है। अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गुरु घासीदास जी के उपदेशों ने सतनामी समाज के साथ-साथ पूरे छत्तीसगढ़ को समाज सुधार की दिशा में आगे बढ़ाया है और पहचान दी है। उनकी जन्मभूमि, तपोभूमि और कर्मभूमि होने के नाते यह स्थान एक तीर्थ स्थल है। यहां आने वाले धन्य हैं कि उन्हें ऐसे संत की महानता तथा उसके सामाजिक दर्शन को समझने का एक मौका मिलता है। हमारे देश का सौभाग्य है कि समाज में जब-जब निराशा बढ़ी है, तब-तब गुरु घासीदास जी जैसे संतों ने समाज को नई आशा और नई दिशा दी है। गुरु घासीदास जी ने आज से लगभग दो सौ साल पहले यहां के बिखरे हुए समाज को सुधारने का महान कार्य किया। उन्होने गरीबों, विशेषकर दलितों के हित में तथा सभी सामाजिक बुराइयों और अन्याय के खिलाफ एक संघर्ष छेड़ा था। उन्होंने जो काम किया वह जन-जागरण की शानदार मिसाल है। गुरु घासीदास जी ने समझाया कि सत्य ही ईश्वर का दूसरा नाम है। सत्य आचरण ही धर्म है। गुरुजी को तो ज्ञान मिल ही गया था। लेकिन लोगों के कल्याण के लिए उन्होने एकांतवास छोड़कर समाज के शोषित वर्ग के कल्याण के लिए काम करना शुरू किया। उनका प्रभाव बढ़ता ही गया। आज छत्तीसगढ़ में उनके लाखों अनुयायी हैं। सभी धर्मों के लोग गुरु घासीदास जी के प्रति गहरा सम्मान रखते हैं। गुरु घासीदासजी ने लोगों में ऊंच-नीच और छुआ-छूत की भावना को समाप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने भाईचारा और समरसता का संदेश दिया। निजी जीवन में नैतिकता बरतने की शिक्षा दी, खानपान की सादगी पर जोर दिया। नुकसान-देह धार्मिक रूढ़ियों पर प्रहार किया, जो कि एक आधुनिक समाज के निर्माण के लिए जरूरी था। उन्होंने महिलाओं के सम्मान पर जोर दिया और विधवा विवाह का समर्थन किया। प्रत्येक मार्च के महीने में यहां श्रद्धालुओं को जो मेला लगता है, वह देखते ही बनता है। वह मेला समानता की भावना को मजबूत बनाने का एक सामूहिक उत्सव होता है। सबसे पहले गुरु घासीदास जी ने गिरौदपुरी में ही जोड़ा जैतखाम स्थापित किया था। आज का आधुनिक जैतखाम सतनामी समाज का केंद्र होने के साथ साथ पूरे समाज के लिए शांति, अहिंसा, प्रेम, और करुणा का प्रतीक है। मैं इस जैतखाम की ऊंचाई में गुरु घासीदास के प्रति लोगों के दिल में बसी आस्था की गहराई भी देखता हूं। इस जैतखाम के वास्तुशिल्प और सुंदरता की जितनी तारीफ की जाए वह कम है। इसका निर्माण कराने के लिए मैं राज्य सरकार और डॉक्टर रमन सिंह की सराहना करता हूं। राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु घासीदास के मंदिर में और जैतखाम का दर्शन करते हुए मैं सोच रहा था कि जिस तरह महात्मा बुद्ध के कारण गया को बोधगया का दर्जा मिला, उसी तरह गुरु घासीदास के कारण गिरौद नाम के गांव को गिरौदपुरी धाम का दर्जा प्राप्त हो गया है। कुछ वर्षों पहले मुझे इस तीर्थ स्थल पर आने का सौभाग्य मिला था। इस क्षेत्र में जहां गुरु घासीदास जी ने तपस्या की थी, वहां रात्रि विश्राम करने और पूरे क्षेत्र का भ्रमण करने का सुअवसर मिला था। आज जिस सामुदायिक भवन की आधारशिला रखी गई है, वह भी गुरु घासीदास जी के आशीर्वाद से एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र बनेगा, यह मेरा विश्वास है। इस निर्माण कार्य के लिए भी मैं मुख्यमंत्री जी की सराहना करता हूं। राष्ट्रपति ने कहा कि बिलासपुर में गुरु घासीदास जी के नाम से जो विश्वविद्यालय है उसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ है। मैं आशा करता हूं कि इस विश्वविद्यालय के छात्र देश और विदेश में उनके आदर्शों और उपदेशों को अपने आचरण के बल पर प्रसारित करेंगे। मुझे विश्वास है कि छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास जी के आदर्शों के अनुसार समानता और एकता पर आधारित समाज के निर्माण का कार्य छत्तीसगढ़ की जनता और सरकार मिल-जुलकर आगे बढ़ाते रहेंगे।

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