अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद के लिए मचा घमासान
08 Oct 2021, 172
प्रयागराज।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र ‎गिरि की मौत के बाद अब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद को लेकर अखाड़ों में जबरदस्त घमासान मच गया है।शैव और वैष्णव अखाड़ों में अध्यक्ष पद के लिए लामबंदी तेजी पकड़ गई है। शैव अखाड़ों में सबसे बड़े जूना अखाड़े ने अध्यक्ष पद पर अपना दावा ठोकते हुए मजबूत दावेदारी की बात कही है तो वहीं वैष्णव अखाड़ों ने इस बार अध्यक्ष पद पर अपने संत को बिठाने के लिए हर दांव आजमाने का मन बना लिया है।कहा तो यहां तक जा रहा है कि, यदि उन्हें अध्यक्ष पद नहीं मिला तो वह अखाड़ा परिषद से अलग हो जाएंगे।

नरेंद्र गिरि के षोडशी कार्यक्रम में सिर्फ दस अखाड़े शामिल हुए थे।इन अखाड़ों में शैव व उदासीन अखाड़े शामिल थे।तीन वैष्णव अखाड़ों में श्री दिगंबर अनी, श्री निर्मोही अनी और श्री निर्वाणी अनी के संत महात्माओं ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी।हरिद्वार कुंभ के दौरान दोनों धड़ों में हुआ मनमुटाव अभी भी बरकरार है।

जूना अखाड़ा के अध्यक्ष श्री महंत प्रेम गिरि का कहना है कि जब से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का गठन हुआ है तब से उनके अखाड़े से महात्मा कभी अध्यक्ष पद पर नहीं रहे। उनका अखाड़ा संतों की संख्या के हिसाब से सबसे बड़ा अखाड़ा है, इसलिए अध्यक्ष पद जूना अखाड़े के महात्मा को मिलना चाहिए।

जूना अखाड़ा के संरक्षक श्री महंत हरि गिरि बैरहाल अखाड़ा परिषद के महामंत्री हैं।हरि गिरि का कहना है कि सभी अखाड़ों के संतों से बात चीत की जाएगी और अध्यक्ष का चुनाव सबके सहमति से ही किया जाएगा। वहीं श्री दिगंबर अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्री महंत राम किशोर दास ने कहा कि संन्यासी अखाड़ा के महात्मा पिछले कई वर्षों से अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे हैं। अब वैष्णव अखाड़ों के संतों को ये पद दिया जाना चाहिए अगर ऐसा नहीं होता तो वैष्णव अखाड़ा हमेशा के लिए अखाड़ा परिषद से अलग हो सकते हैं।

अखाड़ा परिषद के उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने इस मुद्दे पर कहा कि वैष्णव अखाड़ों को मनाने का प्रयास किया जाएगा। महंत नरेंद्र गिरी के षोडशी कार्यक्रम में उनके प्रतिनिधि नहीं आए थे।उनको बुलावा भी भेजा गया था।दीपावली के बाद नवंबर में अखाड़ा परिषद की बैठक होनी है जिसमें वैष्णव अखाड़ों को बुलाया जाएगा और इसी बैठक में अध्यक्ष का चुनाव होना है।उम्मीद है कि, वे इस बैठक में शामिल होंगे अगर नहीं आते हैं तो उसके अनुरूप निर्णय लिया जाएगा।

आपको बता दें कि 1954 में स्थापित हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में प्रमुख चार संप्रदाय के 13 अखाड़ों को शामिल किया गया हैं।इनमें सात संन्यासी और तीन बैरागी संप्रदाय के भी हैं।हरिद्वार कुंभ मेले के समय ही महंत नरेंद्र गिरि दूसरी बार अखिल भारतीय परिषद का अध्यक्ष और महंत हरि गिरि दूसरी बार महामंत्री बने थे। दोनों पद संन्यासी संप्रदाय को दूसरी बार मिल गया।जबकि परंपरा रही है कि इन दोनों पदों में एक पद संन्यासी संप्रदाय को जबकि दूसरा पद वैरागी संप्रदाय को मिलता है।इस चुनाव के बाद ही वैरागी संप्रदाय के संतों ने अखाड़ा परिषद को भंग करने के लिए मांग कर डाली थी।अखाड़ा परिषद में फिलहाल जूना, निरंजनी, महानिर्वाणी, अग्नि, अटल, आह्वान आर आनंद संन्यासी अखाड़े जबकि दिगंबर अनी, निर्वाणी अनी और निर्मोही अनी वैरागियों के अखाड़े हैं। नया उदासीन, बड़ा उदासीन और निर्मल अखाड़ा उदासीन संप्रदाय के संतों का है।

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