दवा का काम करती हैं फल और सब्जियां
09 Oct 2017, 208
हम जो भी खाते हैं उसका शरीर पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है पर बहुत से खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जिन्हें यदि भोजन का अंग बनाया जाए तो वे शरीर के लिए दवा का काम करते हैं। आइए देखें हमें विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों से क्या लाभ हो सकते हैं। यह याद रखें कि किसी पदार्थ का सर्वाधिक लाभ उसे कच्चा खाकर या कम पकाकर ही उठाया जा सकता है। सब्जियों में विद्यमान सभी औषधीय गुण तलने, भुनने से नष्ट हो जाते हैं, अतः यथासंभव फलों को कच्चा ही खाएं और सब्जियों को कच्चा या हल्का पका कर खाएं। करेला: करेला गर्म भोज्य शाक है जो बादी (वायु) को कम करता है, पेट के कीड़ों को मारता है और कफ को घटाता है। ककड़ी: ककड़ी की तासीर तर और ठंडी होती है। इसके सेवन से प्यास शांत होती है। गर्मी को कम करती है पर यह देर से पचती है। इससे पेट जल्दी अफरता है। नींबू: नींबू स्वभाव में ठंडा और तर होता है। नींबू के सेवन से भूख खुल कर लगती है, खाया हुआ भोजन पचने में आसानी होती है। जी मिचलाने पर नींबू केसर का सेवन लाभकारी होता है। नींबू आमाशय और जिगर को शक्ति होता है। आलुबुखारा: आलुबुखारा ठंडा और सुपाच्य फल है। इसके नियमित सेवन से कब्ज ठीक होती है। आलुबुखारे से रक्त बढ़ता है पर इसका सेवन सीमित मात्र में किया जाए तो अधिक लाभदायक होता है। आंवला: आंवला ठंडा, भूख बढ़ाने वाला फल है। इसे अमृत माना जाता है। इसके सेवन से दिमाग और आंखों की कमजोरी दूर होती है। आम: आम की तासीर गर्म और तर होती है। आम शक्तिवर्धक और तृप्तिदायक फल है। आम के सेवन से कब्ज दूर होती है और शरीर को स्फूर्ति मिलती है। अधिक मात्र में आम के सेवन से शरीर मोटा होता है। खीरा: खीरा स्वभाव से ठंडा और तर होता है। कब्ज स्वभाव से ठंडा और तर होता है। कब्ज रहने पर खीरे का नियमित सेवन करें। खीरे के सेवन से पेशाब की जलन और पेशाब के रूक कर आने की शिकायत दूर होती है। गर्मी में तो खीरा नियामत है। खरबूजा: खरबूजा तासीर में गर्म होता है। शरीर को स्फूर्ति देता है, कब्ज दूर करता है, मूत्र की रुकावट में भी खरबूजे का सेवन लाभप्रद है। गुड़: गुड़ गर्म और तर होता है। गुड़ के सेवन से पाचन शक्ति ठीक होती है, शरीर में शक्ति और स्फूर्ति का संचार होता है। पतले लोगों का गुड़ का सेवन खाने के पश्चात करना चाहिए। इससे खाना पचता है और शरीर मोटा होता है। चाय: चाय तासीर में गर्म होती है। इसके सेवन से थकान और सर्दी कम होती है। चाय के अधिक सेवन से भूख कम लगती है, नींद कम आती है। चाय में अधिक दूध और मलाई के प्रयोग से चाय के दोष कम हो जाते हैं। चावल: चावल स्वभाव से ठंडे होते है। चावल जल्दी पच जाते हैं। चावल अधिक खाने से कब्ज की शिकायत होती है। मट्ठा: दही को मथकर मट्ठा बनाया जाता है। यह ठंडा और तर होता है। मट्ठा सुपाच्य और बलवर्धक होता है। टमाटर: टमाटर के सेवन से भूख बढ़ती है। यह स्वभाव में सौम्य माना जाता है। इसके सेवन से भोजन शीघ्र पचता है, पेट का अफारा दूर करता है और स्वास्थ्य हेतु लाभप्रद है। टिंडा: टिंडा हाथ पैर की जलन और गर्मी के कष्टों को कम करता है। इसकी तासीर ठंडा और तर होती है। कफ वाले रोगी इसका सेवन कम से कम करें। तोरी: तोरी सुपाच्य होती है। इसके सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है, भूख लगती है और रक्त को शुद्ध करती है। दही: दही की तासीर तर, गर्म, और चिकनी होती है। हृदय रोगियों को दही का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए पर कम वसा वाले दूध का दही ही लाभप्रद होता है। दही आंतों और दिमाग हेतु बलवर्धक होता है। पपीता: पपीता आसानी से पचने वाला फल है। यह गर्म और तर होता है। कब्ज में पपीता रामबाण माना जाता है। प्याज: प्याज तामसिक भोजन और गर्म होता है। गर्मी में कच्चे प्याज का सेवन करने से लू नहीं लगती।

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