तनावों से सदैव दूर रहते हैं सुबह उठने के आदी
20 Oct 2017,
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जो लोग प्रातः जल्दी उठने के आदी हैं, वे तनावों से सदैव दूर रहते हैं क्योंकि उनमें समस्याओं और चुनौतियों से जूझने की प्राकृतिक शक्ति होती है पेट संबंधी गड़बड़ियां भी प्रातः जल्दी उठने से ठीक हो जाती हैं। पेट साफ रहता है। इससे पाचन शक्ति भी ठीक रहती है। भूख समय पर तथा खुलकर लगती है यदि हम प्रातः जल्दी उठें और स्वच्छ वायु में घूमने या टहलने निकलें, तो दिन भर जो प्रदूषित वातावरण में रहना होगा, उसकी कुछ तो क्षतिपूर्ति होगी, कुछ तो राहत मिलेगी... अर्ली टू बेड एंड अर्ली टू राइज, मेक्स ए मैन हेल्दी, वेल्दी एंड वाइज अग्रेंजी की कहावत बरसों से सारी दुनिया में प्रचलित है, जो इस बात की ओर इंगित करती है कि रात्रि जल्दी सोना तथा सुबह जल्दी उठना व्यक्ति को शरीर संपत्ति और मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाता है। यह सब जानते हुए भी आज की व्यस्त जिंदगी में कितने लोग इसका अनुसरण कर पाते हैं। परिणामस्वरूप वे बीमार दुःखी एवं परेशान रहते हैं। पहले के लोगों की सेहत का राज यही था कि वे नियम संयम से रहते थे। रात को जल्दी सोते व प्रातः जल्दी उठते थे। इससे वे सदैव स्वस्थ प्रसन्न एवं दीर्घायु को प्राप्त होते थे। स्वस्थ रहने के लिए आठ नौ बजे सोकर प्रातः चार-पांच बजे यानी सूर्योदय से पूर्व ही उठकर निष्कर्मो से निवृत्त हो अपनी दिनर्चया शुरू करते थे ताकि प्रातःकालीन शुद्ध व स्वस्थ वायु मिल सके। यदि हम प्रातः जल्दी उठें और स्वच्छ वायु में घूमने या टहलने निकलें, तो दिन भर जो प्रदूषित वातावरण में रहना होगा, उसकी कुछ तो क्षतिपूर्ति होगी, कुछ तो राहत मिलेगी। दिन निकलने के बाद तो हम इतने व्यस्त हो जाते हैं कि चाहकर भी घूमने का समय नहीं निकाल पाते। प्रकृति दर्शन से बढ़िया खुशनुमा और आनन्दित कर देने वाली और क्या चीज हो सकती है? देर से उठने वालों को क्या मालूम कि सूर्योदय कैसे होता है? उसका आनन्द तो वही उठा सकता है जो सूर्योदय से पूर्व उठा हो। बहुत से लोग हैं जिन्होंने कभी उगते हुए सूर्य के दर्शन नहीं किये। जो लोग प्रातः जल्दी उठने के आदी हैं, वे तनाव से सदैव दूर रहते हैं क्योंकि उनमें समस्याओं और चुनौतियों से जूझने की प्राकृतिक शक्ति होती है। व्यायाम अच्छे स्वास्थ्य के लिए नितांत आवश्यक है। किसी भी तरह की कसरत, दंड बैठक आसन या योग का सवरेत्तम समय प्रातःकाल ही माना गया है। इसलिए प्रातः जल्दी उठकर व्यायाम करने की आदत डालें, इससे शरीर स्वस्थ एवं निरोगी रहेगा तथा चुस्ती स्फूर्ति कायम रहेगी। मन कितना ही अशांत हो, यदि प्रातःकाल सैर पर जाया जाए तो वह प्रफुल्लित हो उठता है। पेट संबंधी गड़बड़ियां भी प्रातः जल्दी उठने से ठीक हो जाती हैं। पेट साफ रहता है। इससे पाचन शक्ति भी ठीक रहती है। भूख समय पर तथा खुलकर लगती है। जल्दी सो कर उठने वाले स्वस्थ, सुखी एवं खुशहाल जीवन बिताते हैं। यदि आप भी देर से उठने वालों में से एक हैं, तो अपनी इस आदत को बदल डालिये। फिर देखिए, आपके जीवन में नया जोश, उमंग और उत्साह आता है या नहीं? रात को देर से सोकर सुबह जल्दी उठ जाना भी बुद्धिमानी नहीं है। एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति को छह से आठ घंटे की नींद लेना आवश्यक है। यदि आपकी नींद पूरी नहीं हुई है तो आप सुबह अपने आपको तरोताजा नहीं पाएंगे। इससे आपकी दिनर्चया प्रभावित होगी। यही नहीं व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता भी प्रभावित होती है। नींद में सिर्फ एक घंटे की कमी व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता में एक अंक की कमी ला सकती है। यहां तक कि निर्णय लेने की क्षमता, शारीरिक क्रियाकलापों आदि पर भी इसका असर पड़ता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दिमाग को तेज रखना है तो रोजाना रात को सात घंटे की नींद लीजिए। इससे ज्यादा नींद लेने की जरूरत नहीं है। यूनिवर्सिटी कालेज लंदन के शोधार्थियों ने पाया कि बहुत ज्यादा या बहुत कम नींद से किसी व्यक्ति के दिमाग की कार्यपण्राली समय से पहले ही करीब सात साल आगे की हो जाती है। डेली टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन छह घंटे सोने वाले मध्यम आयु के वयस्कों का लगातार पांच साल तक अध्ययन करने में पाया कि वे तार्किक और शब्दों के ज्ञान संबंधी प्रश्नों में पिछड़ जाते हैं। जो लोग आठ घंटे से ज्यादा सोते हैं, उनमें भी इसी तरह का पिछड़ापन पाया जाता है। शोधार्थियों ने पाया कि सात घंटे रोजाना सोने वाली महिला की तार्किक और शब्दों का ज्ञान इन पुरुषों से ज्यादा अच्छा था, जो सात से ज्यादा या कम घंटे सोते थे। प्रतिदिन कितना सोना चाहिए, इस विषय पर यह शोध किया गया है।