क्या शराब और तम्बाकू से कोरोना वायरस रोकधाम खतरे में पड़ जायेगा?
06 May 2020,
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नई दिल्ली, 6 मई विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तम्बाकू और शराब दोनों से कोरोना वायरस रोग होने पर गंभीर परिणाम होने का खतरा बढ़ता है और मृत्यु तक हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तम्बाकू और शराब दोनों के सेवन की, कोई भी सुरक्षित सीमा नहीं है – यानि कि, हर रूप में और हर मात्रा में, यह हानिकारक हैं. जब देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा था और तालाबंदी हो गयी थी, तब शराब कंपनियां सरकार पर यह दबाव बनाने का प्रयास कर रही थीं कि शराब को ‘अति-आवश्यक श्रेणी’ में लाया जाए क्योंकि खाद्य सामग्री की तरह शराब ही अति-आवश्यक है. कोरोना वायरस महामारी में शायद पृथ्वी पर हर इंसान को यह समझ में आ गया है कि भोजन कितना आवश्यक है परन्तु शराब और तम्बाकू, न केवल, गैर ज़रूरी हैं बल्कि कोरोना वायरस रोग का खतरा भी बढ़ाते हैं.
शराब और कोरोना वायरस रोग
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी के दौरान शराब सेवन से स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, जोखिम उठाने की सम्भावना बढ़ती है, मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्याएँ हो सकती हैं और हिंसा बढ़ती है. शराब सेवन से अनेक संक्रामक और गैर-संक्रामक रोग होने का खतरा भी बढ़ता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता गिर जाती है. संक्रामक रोग जैसे कि टीबी और गैर-संक्रामक रोग (हृदय रोग, पक्षाघात, कैंसर, मधुमेह/ डायबिटीज, दीर्घकालिक श्वास सम्बन्धी रोग आदि) होने पर कोरोना वायरस रोग होने पर गंभीर जानलेवा परिणाम हो सकते हैं. शराब से हर साल 30 लाख लोग मृत होते हैं और तम्बाकू से 80 लाख लोग हर साल मृत होते हैं. हर एक मृत्यु जो तम्बाकू और शराब से होती है वह असामयिक है.
शराब और हिंसा
यह सर्व-विदित है कि शराब और घरेलु हिंसा, विशेषकर कि, महिला हिंसा में सीधा संबंध है. कोरोना वायरस रोग के दौरान जब देश में तालाबंदी है, तब एक बात और सामने आई है कि महिला और घरेलु हिंसा बढ़ गयी है. राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार, कोरोना वायरस रोग के कारण हुए तालाबंदी में, महिला हिंसा की शिकायत लगभग दुगनी हो गयी हैं, यदि उसके पूर्व के महीने से तुलना करें तो. आपसी तनाव, कमज़ोर सामाजिक सुरक्षा, आदि अनेक ऐसे कारण हैं जो तालाबंदी के दौरान महिला और बच्चों को अधिक घरेलु हिंसा का शिकार बना रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, शराब और हिंसा का सीधा संबंध है. अधिकांश घरेलु हिंसा पुरुषों द्वारा की जाती है जिसकी गंभीरता शराब के नशे में बढ़ जाती है.
तम्बाकू और कोरोना वायरस रोग
कोरोना वायरस रोग से जूझ रहे अनेक देशों के शोध यह दर्शा रहे हैं कि अधिक उम्र के लोगों में और गैर-संक्रामक रोग होने पर, कोरोना वायरस रोग की गंभीरता बढ़ जाती है, और मृत्यु होने का खतरा भी अनेक गुणा बढ़ता है. गैर-संक्रामक रोग (जैसे कि हृदय रोग, पक्षाघात, कैंसर, मधुमेह या डायबिटीज, दीर्घकालिक श्वास रोग, आदि) का खतरा तम्बाकू और शराब दोनों से बढ़ता है. तम्बाकू सेवन से हमारे फेफड़े रोग-ग्रस्त होते हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. तम्बाकू और टीबी का भी सीधा घातक नाता है, और टीबी होने पर भी कोरोना वायरस रोग के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इटली के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार, कोरोना वायरस रोग से हुई मृत्यु में 99% लोग गैर संक्रामक रोग से ग्रस्त थे जिनमें उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, सीओपीडी और मधुमेह का अनुपात सबसे अधिक था – इन सब का खतरा तम्बाकू और शराब दोनों से बढ़ता हैं. भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के शोध आंकड़ें बताते हैं कि कोरोना वायरस रोग से मृत हुए लोगों में 86% को गैर-संक्रामक रोग थे, जिनमें मधुमेह, दीर्घकालिक गुर्दा रोग, उच्च रक्तचाप, और हृदय रोग का अनुपात अधिक था - तम्बाकू और शराब दोनों ही इनका खतरा बढ़ाते हैं. तम्बाकू की पीक थूकने से भी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ता है. सरकार के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् के अनुसार, गुटखा, पान मसाला, पान, सुपारी, और अन्य प्रकार के धुआं-रहित तम्बाकू उत्पाद से,अधिक मात्रा में थूक का उत्पादन होता है और थूकने की इच्छा तीव्र होती है. इसीलिए सरकार के आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् ने तम्बाकू और अन्य चबाने वाले उत्पाद के बाद थूकने से मना किया था क्योंकि इससे कोरोना वायरस रोग फैलने का खतरा भी बढ़ता है. इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी तालाबंदी शुरू करने के समय, पान मसाला प्रतिबंधित कर दिया था.
राजस्व का सच
कोरोना वायरस महामारी के कारण जनित आपदा में, आर्थिक मंदी का खतरा मंडरा सकता है. ऐसे में यह और ज़रूरी है समझना, कि जब तम्बाकू और शराब से आये राजस्व को देखें तो यह भी देखें कि उनसे हुई जान-माल की क्षति कितनी हुई? विश्व बैंक के अर्थशास्त्री मंडल ने यह शोध किया और पाया कि तम्बाकू के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को अमरीकी डालर 1,400 करोड़ का नुक्सान होता है, जो दुनिया की जीडीपी का 1.8% है! वर्ल्ड इकनोमिक फोरम और हार्वर्ड स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के शोध के अनुसार, सिर्फ 5 गैर-संकम्रक रोग के कारण दो दशक में, वैश्विक अर्थ-व्यवस्था को अमरीकी डालर 47,000 करोड़ का नुक्सान होता है. यह 5 गैर-संक्रामक रोग हैं (हृदय रोग और पक्षाघात, कैंसर, डायबिटीज, दीर्घकालिक श्वास सम्बन्धी रोग और मानसिक रोग).उद्योग की राजस्व वाली बात झूठ है क्योंकि यदि तम्बाकू और शराब का राजस्व विकास के लिए ज़रूरी होता, तो गुजरात जहाँ शराबबंदी है और अमरीका-सिंगापूर जहाँ तम्बाकू सेवन इतना कम हो गया है, वहां विकास कैसे हो पाता? तम्बाकू और शराब की एक सच्चाई यह है कि सिर्फ इसके उद्योगपतियों को ही आर्थिक लाभ हो रहा है. इस समय कोरोना वायरस महामारी पर अंकुश लगाने पर सारा ध्यान केन्द्रित रखना होगा और जो उत्पाद इस रोग का खतरा बढ़ाते हैं, उनपर प्रतिबन्ध लगाना ही श्रेयेस्कर रहेगा.
बॉबी रमाकांत – सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)