177 उपभोक्ता वस्तुओं पर जीएसटी घटाकर 18 प्रतिशत किया
11 Nov 2017,
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गुवाहाटी, 11 नवंबर (धर्म क्रान्ति)। जीएसटी परिषद ने चॉकलेट से लेकर डिटर्जेंट तक आम इस्तेमाल वाली 177 वस्तुओं पर कर दर को मौजूदा 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला किया है। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यह जानकारी दी। सुशील मोदी ने आज यहां संवाददाताओं को बताया कि परिषद ने 28 प्रतिशत की सर्वाधिक कर दर वाली श्रेणी में वस्तुओं की संख्या को घटाकर सिर्फ 50 कर दिया है जो कि पहले 227 थी। जीएसटी परिषद ने यहां अपनी 23वीं बैठक में आज 177 वस्तुओं पर कर दर में कटौती कर दी। उल्लेखनीय है कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य व्यापक खपत वाली वस्तुओं को 28 प्रतिशत कर दायरे में रखने का विरोध कर रहे थे। जीएसटी दर की इस श्रेणी में ज्यादातर लग्जरी व अहितकर वस्तुओं को रखा गया है। दरें तय करने वाली (फिटमैंट) समिति ने 28 प्रतिशत की श्रेणी में आने वाली वस्तुओं की संख्या को घटाकर 62 करने की सिफारिश की थी, जबकि परिषद ने इसमें वस्तुओं की संख्या को घटाकर 50 कर दिया है। देश में नई वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली का क्रियान्वयन 1 जुलाई से किया गया है। इसमें पांच कर श्रेणी - शून्य प्रतिशत, पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत व 28 प्रतिशत रखी गई हैं। सुशील मोदी ने कहा, 28 प्रतिशत कर स्लैब में 227 वस्तुएं थी। फिटमैंट समिति ने इसमें वस्तुओं की संख्या घटाकर 62 करने की सिफारिश की थी, जबकि जीएसटी परिषद ने इससे भी आगे बढ़कर 12 और वस्तुओं को इसके दायरे से हटाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सभी तरह की च्युइंगम, चॉकलेट, फेशियल मैकअप तैयारी के सामान, शेविंग और शेविंग के बाद काम आने वाले सामान, शैंपू, डियोडोरेंट, कपड़े धोने के डिटरजेंट पाउडर व ग्रेनाइट व मार्बल पर अब 18 प्रतिशत दर से जीएसटी लगेगा। उन्होंने कहा, इस बात पर सहमति थी कि 28 प्रतिशत श्रेणी में केवल अहितकर व गैर जरूरी सामान ही होंगे। सुशील मोदी ने कहा, इसलिए आज जीएसटी परिषद ने ऐतिहासिक फैसला किया कि 28 प्रतिशत जीएसटी दर में केवल 50 वस्तुएं ही होंगी। इस श्रेणी से हटाई गइ बाकी वस्तुओं पर कर दर को घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। रंग-रोगन व सीमेंट को 28 प्रतिशत कर दायरे में ही रखा गया है। उन्होंने कहा, वॉशिंग मशीनों व एयर कंडीशनर जैसे लग्जरी उत्पादों को 28 प्रतिशत जीएसटी दायरे में रखा गया है। जीएसटी परिषद के आज के फैसले का राजस्व पर असर 20,000 करोड़ रुपये सालाना होगा। सुशील मोदी ने कहा, इस बात पर सहमति थी कि 28 प्रतिशत की श्रेणी को धीरे-धीरे 18 प्रतिशत पर लाया जाए। लेकिन इसमें समय लगेगा क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर बड़ा असर होगा।