हाय बिजली:यूपी में यूपीपीसीएल की चूक से बिजली को लेकर मचा हाहाकार,खराब हो सकते हैं अगस्त में और हालात
19 Jun 2023, 164
हाय बिजली:यूपी में यूपीपीसीएल की चूक से बिजली को लेकर मचा हाहाकार,खराब हो सकते हैं अगस्त में और हालात

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती से हाहाकार मचा हुआ है। प्रदेश के कई इलाकों में लोग हाथ के पंखे का सहारा लेकर रातें काट रहे हैं।प्रदेश में प्रचंड गर्मी के दौरान ये नजारे नए नही हैं। 90 के दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था नौकरशाही से मुक्त होकर ब्रांड और चमकते बाजार की ओर बढ़ती चली गई, लेकिन उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लालफीताशाही से कभी निजात नहीं पा सका।

ज्यादा पीछे न जाकर कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव की सरकारों से बात शुरू करें तो वो जमाना भी याद आता है। जब लोग उस समय शहरों की बिजली देखकर गांवों में बखान करते थे।जिन गांवों में बिजली पहुंच भी गई थी वहां शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता था।कभी भूल से शाम को बिजली आ भी जाती थी तो गांव को लोगों के लिए वह पल किसी त्योहार और उत्सव से कम नहीं होता था, लेकिन उस दौर से आज तक कुछ भी नहीं बदला।सरकारें बदलती रहीं, मुख्यमंत्री बदलते रहे और चुनावी घोषणा पत्रों में बिजली को लेकर बातें बदलती रहीं,लेकिन नहीं बदली तो सिर्फ एक बिजली।

21वीं सदी में बिजली को लेकर किए गए वादे उत्तर प्रदेश में नेताओं के लिए बड़ी उपलब्धि है।दीपावली, ईद, होली और नवरात्रि के दौरान बिजली कटौती न किए जाने के ऐलान की खबरें भी आज भी आती हैं।साल दर साल बिजली विभाग की हालत खराब होती चली जा रही है।कुछ साल पहले तो प्रदेश के गांवों के लिए एक रोस्टर जारी किया गया, जिसमें एक हफ्ते दिन और एक हफ्ते रात में बिजली सप्लाई की व्यवस्था की गई।अब आप सोच सकते हैं जिस सूबे से लोकसभा की 80 सीटें आती हैं, जहां सबसे ज्यादा विधानसभा सीट हों, जहां राजनीतिक जुमला आम हो,दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है।वहां की जनता प्रचंड गर्मी में सरकारों की ऐसी कृपा भी देख चुकी है।

खपत और संसाधनों का आकलन करने में पावर कॉरपोरेशन चूक गया। उपभोक्ता और भार बढ़ाते गए, लेकिन संसाधनों का विकास नहीं हुआ,जिसका परिणाम बिजली को लेकर पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा है।अगस्त महीने के लिए अभी से तैयारी नहीं की गई तो हालात अधिक खराब हो सकते हैं।

उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ने नियामक आयोग को दी गई रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2023-24 में अधिकतम खपत 27531 मेगावाट तक हो सकती है। इसी आधार पर सभी तैयारी भी की गई, जबकि इस वर्ष 13 जून को ही खपत का आंकड़ा बढ़कर 27611 मेगावाट पहुंच गया है। यह स्थिति तब है, जब ग्रामीण इलाके में ब्रेक डाउन के तहत ट्रांसफर फुंकने, केबिल जलने, तार टूटने, जंफर उड़ने, फ्यूज उड़ने जैसी घटनाएं लगातार हो रहीं हैं, जिससे कई इलाकों में घंटों बिजली आपूर्ति बाधित रहती है।

विभागीय जानकारों का कहना है कि निर्धारित शिड्यूल के तहत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए तो खपत 29 हजार मेगावाट तक पहुंच सकती है। यही हाल संसाधनों के विकास का भी रहा है। मौजूदा संसाधन 5.50 करोड़ किलोवाट का भार उठाने योग्य है। उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 3.52 करोड़ हो गई है, जिससे भार बढ़कर 7.47 करोड़ किलोवाट हो गया है।निगमों की ओर से उपकेंद्रों के उच्चीकरण पर भी ध्यान नहीं दिया गया। अब रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत अब 35384 करोड़ रुपये से एबी केबल डालने सहित अन्य कार्य शुरू कराए गए हैं, लेकिन यह कार्य लंबे समय तक चलने वाला है। कुछ कार्यों के लिए अभी टेंडर प्रक्रिया चल रही है। इसे दिसंबर तक पूरा करने का दावा किया जा रहा है, जो असंभव दिख रहा है।


उत्तर प्रदेश में जून महीने में बिजली को लेकर जमकर फजीहत हो रही है।अभी बारिश के मौसम में यह समस्या और बढ़ सकती है। बारिश के मौसम में खपत का आंकड़ा भी बढ़ता है। क्योंकि वर्ष 2021-22 में 28 जुलाई को अधिकतम खपत 24798 पहुंची थी। वर्ष 2022-23 में नौ सितंबर को अधिकतम खपत 26589 मेगावाट पहुंची थी। ऐसे में जुलाई से सितंबर महीने के खपत के लिहाज से अहम होता है। बारिश के दिनों में स्थानीय उत्पादन भी गिरता है।पावर कॉरपोरेशन अपनी हर रणनीति में फेल हो रहा है। लगभग 32 हजार उपकेंद्रों की क्षमता नहीं बढ़ाई गई। सिर्फ कनेक्शन और भार बढ़ाए गए। 37 हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मी कार्यरत हैं। इनको नियमित करने की दिशा में भी कोई कार्य नहीं किया गया। जब खपत 28 हजार के आसपास पहुंच सकती है तो उसी हिसाब से संसाधनों का भी विकास किया जाना चाहिए था।

पावर कॉरपोरेशन के अफसरों को पता था कि इस साल 28 हजार मेगावाट से अधिक बिजली की खपत होगी,लेकिन अफसर 27611 मेगावाट तक सीमित रहे। पांच साल पहले एरियर बंच कंडक्टर (एबीसी) सिंगल फेस के लगाए गए हैं। तब से हर गली में उपभोक्ता बढ़े हैं। अब डबल फेस एबीसी की जरूरत है। पावर कॉरपोरेशन खपत के मुताबिक बिजली उपलब्धता का दावा करता है,लेकिन अहम सवाल यह है कि कितने घंटे बिजली मिल रही है।

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज का कहना है कि कॉरपोरेशन लगातार अपने सिस्टम को अपग्रेड कर रहा है। खुले तारों के स्थान पर एबी केबल लगाई जा रही हैं। आर्मर्ड सर्विस केबल लग रही हैं। बिजली व्यवस्था सुधारने के कई काम चल रहे हैं। ट्रांसफार्मर बदले जा रहे हैं। इन सभी कार्यों में वक्त लगता है।
News Pratapgarh Express

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