अमेरिका न्याय का पक्षधर है और वह इसके लिए लड़ता रहेगा: डोनाल्ड ट्रंप

वाशिंगटन, 07 अप्रैल (धर्म क्रांति)। सीरिया में अमेरिकी क्रूज हमलों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका न्याय का पक्षधर है और वह इसके लिए लड़ता रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने सभी राष्ट्रों से सीरिया में खूनखराबा रोकने की अपील की है। डोनाल्ड ट्रंप ने फ्लोरिडा से एक संबोधन में कहा कि मंगलवार को सीरिया के तानाशाह बशर अल असद ने निर्दोष नागरिकों पर रासायनिक हमले को अंजाम दिया। इसको अमानवीय और क्रूर हमला बताते हुए उन्होंने अमेरिकी हवाई हमलों का समर्थन किया। ट्रंप ने कहा कि हम आशा करते हैं कि अमेरिका न्याय के लिए तब तक लड़ता रहेगा जब तक अंतिम रूप से शांति और भाईचारा स्थापित नहीं होता। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि ईश्वर के किसी भी संतान का अंजाम इतना खौफनाक नहीं होना चाहिए। इस हमले की प्रतिक्रिया के तौर पर हमने सीरिया के चुनिंदा ठिकानों पर मिसाइल हमला शुरू किया है। यह हमला उन एयरफील्ड्स पर है, जिनका इस्तेमाल कर मंगलवार को यह रसायनिक हमला किया गया था। सीरिया को रसायनिक हमलों का दोषी ठहराते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अमेरिका किसी भी तरह के खतरनाक और जानलेवा रसायनिक हथियारों के इस्तेमाल और प्रसार के खिलाफ है। इसमें कोई शक नहीं कि सीरिया ने प्रतिबंधित रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया। सीरिया ने रसायनिक हथियार सम्मेलन में तय किए गए नियमों का भी उल्लंघन किया। साथ ही उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अपीलों को भी नजरंदाज किया। अपने इस संबोधन में राष्ट्रपति ने शरणार्थी समस्या का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सीरिया द्वारा बार-बार नियमों की अनदेखी की गई। इसके कारण वहां शरणार्थियों की समस्या और गहराती जा रही है। पूरा क्षेत्र अस्थिर बना हुआ है। इससे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए खतरा पैदा हो गया है। ट्रंप का बयान ऐसे वक्त आया है जब अमेरिका ने सीरिया के संबंध में रणनीति बदलने के संकेतों के बीच पुराने रुख पर लौटते हुए उसने सीरिया के एयरबेस पर 50 मिसाइलें दागी हैं। पिछले छह साल से गृहयुद्ध की मार झेल रहे सीरिया में पिछले दिनों बशर अल असद की सरकार पर अपने ही नागरिकों के खिलाफ रासायनिक हमले की खबरें आई थीं उसमें 20 बच्चों समेत करीब 100 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि सीरियाई सरकार ने इस तरह के किसी भी हमले से इनकार किया था। रूस की पुतिन सरकार ने भी सीरियाई सरकार के सुर में सुर मिलाया था। हालांकि ट्रंप सरकार के सत्ता में आने के बाद से अमेरिका ने अपनी सीरिया के संबंध में रणनीति बदलने का संकेत दिया था लेकिन रासायनिक हमले के बाद उसको फिर से ओबामा दौर की रणनीति पर लौटते हुए देखा जा रहा है। सीरियाई एयरबेस पर हमले को उसी का परिणाम माना जा रहा है। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में ही कहा था कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद सरकार जमीनी हकीकत है। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि असद सरकार को हटाने की रणनीति से अमेरिका पीछे हट सकता है लेकिन रासायनिक हमलों के बाद ट्रंप ने कहा कि इस घटना ने उनको फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। संभवतया यह इसी बात का नतीजा है कि अमेरिका ने इस तरह का सीधा हमला सीरियाई सैन्य ठिकानों पर किया है।